विस्पति देवता जी आरती |
ॐ जय वीरल देवा स्वामी जय वीरल देवा श्रद्धा भक्ति दे तूं संतन जी सेवा ॐ जय वीरल देवा प्रेमा सा जेको तोके अर्ज करे आजी ताहिन जे भव भक्ति सान हिक बांध थियेन रज़ी ॐ जय वीरल देवा विस्पत जे दीन वेरल तोखे जो ध्येय धन दौलत ऐन लक्ष्मी सहजे सो पाए ॐ जय वीरल देवा सचो सिद्दीक ऐन निश्चय तोमे जो धरे तहंजी शो सदा थे हरगिस ना हरे ॐ जय वीरल देवा दियां जे पूरन दुखा खा उहो आजो रोग माइट रोगिया जो तन मन थिया ताजो ॐ जय वीरल देवा तुहिंजे डर ते जेके साजन अचन स्वालि दान वतन सब दिल सान कोन वनन खली ॐ जय वीरल देवा जहरी जहांजे मन जी तहरी आस पुजारी विस्पत भीली कर, बिग्रियाल काज बनायी ॐ जय वीरल देवा तुहिंजे चरणन जी राज मस्तक ते लाए बंदो हमेशा तुहिंजा बंदूक तो प्यो गए ॐ जय वीरल देवा |
Monday, 19 May 2014
Veeral Bhagwan Ji Aarti in Devnagiri Script
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